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मेरा नाम राधिका सिंह चौहान है। मेरी ऊम्र 21 साल और मै जौनपुर की रहने वाली हूँ। अब मै अपने बारे में क्या बताऊँ यारों 32-28-32 का साइज था। मेरा गोरा रंग, भूरे बाल, काली-काली बड़ी-बड़ी आँखें, गुलाबी होंठ, कसे हुए चूचे और उभरे नितंब। मुझे देखकर किसी भी लड़के का लंड खड़ा हो जाए। मैं भी आप लोगो की तरह अन्तरावस्ना पर कुछ sex भरी बातें पढ़ कर अपने जवानी की आग को शांत कर लेती हूँ।लोगो के सेक्स स्टोरी पढ़ कर मुझे अच्छा और सुकून भरी जीवन का अहसांस होता है । मैंने सोचा की कोई मेरी भी लव स्टोरी पढ़े और ये जाने की क्या होता है, जब सच में किसी को किसी से प्यार होता है।अब ये मेरी नादानी थी या मेरी हवस ?? बहूत कुछ सोचते हुए मैंने खुद की एक स्टोरी जो की सायद मेरे जीवन का एक ऐसा पल है जिसे सायद भुला पाना आसान नहीं।
दोस्तों अब मैं ज्यादा कुछ ना बोलते हुए मै आपको अपनी उस कहानी की दरिया में ले जाना चाहूंगी, जहा से आप वापस नहीं आना चाहेंगे।तो कहानी शुरू होती है मेरे शहर जौनपुर से मैं उस समय 12th पास कर के अपनी ग्रेजुएशन की पढाई करने के लिए नवाबो के शहर लखनऊ सिटी में Amity यूनिवरसिटी में Forensic chemistry में एडमिशन ( दाखीला) करवाया। उस दिन 20/07/2013 तारीक थी, ये डेट मुझे याद है क्योकि की स्टडी की पहली क्लास थी।क्लास शुरू होने से पहले हमारे टीचर ने हम लोगो की खुद से और एक दूसरे से भी introduced करवाया।लड़को में मुझे एक लड़का दुर्गेश कुमार चौहान जो की मेरे ही करीब के वाराणसी शहर से था और मेरे ही कॉस्ट का था।अब हर कोई लगभग अपनी ही करीबी से दोस्ती करना पसंद करेगा क्योकि शायद बुरे समय में उसका और मेरा दोनों का साथ दे लगभग हर कोई अपने ही कॉस्ट में दोस्ती और रिलेशनशिप रखना ज्यादा पसंद करता है।ये चुदाई कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। तो मेरा भी उससे दोस्ती करने का मन हुआ, और मैं आप को बता दूँ क़ि ये मेरी पहली और आखरी गलती थी जो अब मैं सायद कभी ना करूँगी।वो लड़का भी थोड़ा अजीब ही था सबसे सांत और सबसे अलग सायद यही वो चीज थी जो क़ि मुझे उसकी तरफ बार बार खींच रही थी।मैं उससे दोस्ती करू तो करू कैसे ?? क्योकि मैंने कभी किसी लड़के से न ही बात की और न ही दोस्ती और वो सिर्फ क्लास में आता और पढाई करता उसे किसी और से कोई वास्ता नही रहता था।
पर सायद रब की मर्ज़ी थी हम एक दूसरे की कॉलेज के कैंटीन में अचानक टकरा गये हमने एक दुसरे को सॉरी बोला कर फिर मेरे जुबां से एक लफ्ज़ निकला ,दोस्ती में नो सॉरी नो थैंक्स फिर उसने पूछा की हम दोस्त कब हुए मैंने बात को घूमते हुए बोला की हम क्लासमेट है ,और क्लासमेट तो दोस्त के तरह ही होता है।
काफी समय बीतने के बाद हम एक दुसरे के काफी अच्छे दोस्त बन चुके थे। अब हमने आपस में कांटेक्ट नंबर शेयर कर चुके थे हम कभी कभी घंटो चैटिंग करते भी करते रहते थे।समय निकलता गया और हमारा दोस्ती कब प्यार में बदल गया कुछ मालूम ही नहीं हुआ।अब हम एक दुसरे के साथ बाहर आउटिंग पे भी जाने लगे और एक दुसरे को निक name भी दिया।। समय ऐसा भी आया की हमारे कॉलेज की टूर उत्तराखंड के लिए जा रही थी और हम लोगो ने भी उसमे अपने अपने नाम लिखवा दिये।टूर के दौरान हम लगो को एक एक पार्टनर चुनना था जो हमारी हेल्प कर सके। हम एक ही सीट पर बैठे और उत्तराखंड के लिये कॉलेज से रवाना हो गए।हम सब को अलग अलग रूम मिला मेरा रूम उसके के जस्ट बगल वाला था। सुबह हुई मुझे नहाना था पर मेरा एक बैग उसी के पास छूट गया था जिसमे मेरा कुछ सामान था मैं उसे लेने के लिए गई और मैंने गेट नॉक किया पर गेट उस समय खुला हुआ था मैं जल्दी से गई और उससे बोली दुर्गी – मेरा वो बैग कहा है इतना बोलते ही मैं एकदम से चुप सी हो गयी क्योकि वो उस वक़्त बाथरूम से नहा कर ही निकला था उसे नंगा देख मेरे बदन की एक एक रोम खड़े हो गये और उसका मोटा लंड और चौड़ी छाती उस के मर्द होने की सबूत दे रहा था।ये चुदाई कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मैंने झट्ट से अपनी आँख बंद कर वहाँ से भाग कर अपने रूम में वापस आ गई ,कुछ समय बाद दुर्गी मेरे दरवाजे पर दस्तक देते हुए बोला की लो अपना बैग और जल्दी से तैयार हो जाओ हम लोगो को घूमने निकलना है। मैं फटा फट तैयार हो कर रूम से बाहर आयी मैंने रेड कलर की सूट पहन रखी थी जिसमे मै शायद बहूत ही सेक्सी लग रही थी क्योकि सब की नज़र मुझ पर ही थी। मैंने दुर्गी से बस में पूछा – क्यों क्या हुआ सब मुझे ऐसे क्यू देख रहे थे। तो उसने कहा – “आज तुम किसी कयामत से कम नहीं लग रही”। हम लोग घूम के वापस आ गए रात हो गई अब सब लोगो को डिनर के लिए नीचे जाना था, हम भी गए और डिनर के दौरान दुर्गी भी मरे पास बैठा और पूछने लगा, आज का दिन कैसा रहा। मैंने बोला – पहले तुम अपना बताओ। उसका जवाब था कि आज की सुबह मेरे लिए याद गार रहेगी शायद ही मैं कभी भूल पाऊ।
मैंने सरमाते हुए कहा- “तुम बहूत मज़ाकिया किस्म के हो गए हो, डिनर के दौरान हमने एक दूसरे के पैरों को मज़ाक मज़ाक में टच कर रहें थे। जिससे मै धीरे धीरे शायद जोश में आने लगी थी। मैंने किसी तरह डिनर ख़त्म कर के अपने रूम में जा के सोचने लगी की शायद आज जो हुआ या हो रहा था वो गलत है लकिन मुझे बहुत मज़ा आया और ज़िन्दगी में नए सुख का अहसास हुआ। अब रात बहुत हो गई थी मैं सोने जा रही थी।
सोने से पहले मैंने अपनी ड्रेस चेंज किया, और आज के दिन मैंने अपनी नई पैंटी और ब्रा पहन कर सोने के लिये बेड पर गई तभी मैंने जोर जोर चीखने लगी मेरी आवाज सुन कर दुर्गी रूम के बाहर आया और बोला – क्या हुआ।
मैंने कहा – छिपकली छिपकली, मेरे बेड पर छिपकली है। दुर्गी ने कहा – “दरवाजा खोला मैं अभी छिपकली को भगा दूंगा”। मैंने डर के मारे दरवाजा खोला और दरवाजे के पीछे छिप गई दुर्गी कमरे में आया और छिपकली को चादर समेटते हुए विंडो से बाहर फेंक दिया।ये चुदाई कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है।उसके मुड़ने के बाद मुझे ख्याल आया मैंने कुछ भी नहीं पहना शिवाय पैंटी और ब्रा के अब मैं और शर्मिन्दा हो गई मुझे इस हालत में देख के उसकी भी आँखे खुली की खुली रह गई। वो मुझे देखता ही रह गया मैंने बोला – “तुम अपनी आंखें बंद करो और मुझे वो मैक्सी दो जल्दी”। पर शायद मुझे नंगा देख उसकी उसके अंदर का शैतान जाग गया था। उसका लंड जो की पैजामे में कैद था वो बाहर आने के लिए अंदर से ताकत लगा रहा था। जिससे की उसका पैजामा लंड के दबाव से उठता जा रहा था। उसने खुद को कंट्रोल कर अपने लंड को हाथ से दबा कर उसे अपने नारे की गांठ घुसा दिया और मुझे मैक्सी देने के लिए आगे बढ़ा। मै पसीने से लतपत हो गई थी मैक्सी लेने के लिए अपने हाथ को आगे बढ़ाया जैसे ही उनका हाथ लगा, उसका लंड एकदम से खड़ा हो कर आगे एकदम तोप की तरह सामने खड़ा हो गया अब हम दोनों के जिस्म से सिर्फ और सिर्फ पसीने आना शुरु हो गया और हम एक दुसरे को सेक्स भरी नज़रो से देखने लगें थे। अब शायद हम दोनों का कण्ट्रोल खुद पर से हट चूका था।।
जिससे हम दोनों के मुख से उम्म्ह… अहह… जैसे आवाज़ निकलने लगी।मै उससे चिपक गई और उसे किस करने लगी. उसने भी देर न करते हुए मेरे बूब्स में हाथ डाल दिया। और मेरे बूब्स बहुत टाईट थे, दबाते वक्त उसे बहुत मजा आ रहा था जिससे उसको और मुझे भी हम दोनों को सेक्स का भूत चढ़ने लगा.वो मुझे गोद में उठा कर मेरे बूब्स को चूमने लगा मेरे बदन में जैसे बिजली दौड़ गई हो जोश दोनों में इतना था कि हम एक दुसरे को नोचने चाटने लगे। उसने मुझे बेड पर पट्ट दिया। और मेरे होठो को चूसना शुरु कर दिया। दुर्गी मेरे होठो के निचले होठो को बार बार काट रहा था जिससे मै और भी उत्तेजित हो जाती और उसको कस कर बाँहों में भर लेती। मै भी बड़ी मस्ती से उसके होठो को चूसने लगती। हम दोनों ने एक दुसरे के होठो को लगभग 20 मिनट तक चूमते रहे।मै सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी, फिर उसने वो भी उतार दी और मेरे नंगे शरीर को धीरे धीरे किस करने लगा। उसने मेरे पूरे बदन पर किस करने के बाद मेरे मम्मो को दबाते हुए उसको पीने लगा। वो मेरे मम्मो को बड़ी मस्ती से पीते हुए मेरी चूत पर अपने हाथो को सहलाने लगा। जिससे मै बेकाबू होकर उसके हाथो की उंगलियो को पकड कर अपनी चूत में डालने लगी।ये चुदाई कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। बहुत देर तक मेरी चुचियो को मसलते हुए पीने के बाद वो मेरी शरीर को चुमते हुए मेरी चूत की तरफ बढ़ने लगा। जैसे ही वो मेरी चूत के पास पहुंचा, मैंने उसका सिर अपनी चूत में दबा लिया, फिर मैं बोली- अब नहीं रहा जाता… उम्म्ह… अहह… हय… याह उसने मेरी पैंटी पहले ही उतार दी थी, उसने मेरी चूत को देखा और कहा कि आह आह कितनी सुन्दर… तुम्हारी चूत मैंने पहली बार बुर देखी है, बिल्कुल तुम्हारे होंठो की तरह नीचे भी एक होठ है ,जिसमे अजीब सी गर्मी और अजीब सी महक है .उसने नीचे के होंठों का चूसना शुरू किया.
अपना पूरा मुंह खोला और पूरी बुर को मुंह में भर कर उसी पर दांत काट लिया.अब मेरी झरने की बारी थी अब मैं कांप रही थी और उम्म्ह… अहह… हय… याह…अहह ओह्ह्ह ओह्ह उनहू उनहू ,,,….. कर रही थी, तभी मैं जोर से कांपी और मेरी चूत का पानी छुट गया. वो तब भी बुर चाट रहा था, आधा चाटा और आधा बहाया.
मैंने उससे कहा ये बैमानी है मै भी तुम्हारा लंड चूसना चाहती हूँ फिर उसने अपनी नेकर को खोला और अपने लंबे और मोटे लंड को निकाल कर मेरे हाथो में रख दिया। मैं उसके लंड को सहलाते हुए चूसने लगी। उसे डर लग रहा था कहीं मैं दांत से ना काट लू। और मैंने जोश में उसके लंड को कच्च से दांत काटा और उसका लंड दर्द होने लगा।मगर उसके बाद भी वो अपने लंड मेरे मुंह में देकर मुझे चूसता रहा उसे मजा आने लगा।बहुत देर तक लंड चूसने के बाद वो मेरे ऊपर आया मेरी टांगें फैलाई और चूत पर लंड रखा, और एक जोरदार झटका दिया लेकिन उसका लंड फिसल गया.और मेरी चूत से बाहर चला गया,फिर दुबारा यही… 3 बार ऐसा हुआ… चौथी बार लंड को उसने सैट किया, एक बार और जोर का झटका मारा और लंड थोड़ा सा अन्दर गया…दोनों की चीखें एक साथ निकली ‘आआअहह..’ये चुदाई कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। मैंने पूछा तू क्यों चिल्लाया?? मेंरी तो पहली बार है थोड़ा दर्द तो होगा ना!और मेरा चमड़ा छिल गया…उसका लंड खुल गया था, टोपी बाहर… फिर लंड सेट किया, फिर एक धक्का… दर्द कम हुआ और फिर धीरे-2 मेरी चूत ढीली होने लगी थी। उसे मजा आ रहा था, उसका लंड जरा सा अन्दर था, उसको कन्ट्रोल नहीं हुआ उसने एक और झटका मारा, फिर मैं चिल्लाई, मेरे आँसू निकलने लगे.उसने एक और झटका मारा लंड पूरा अन्दर… मैं रो रही थी- निकालो निकालो!मैं दर्द के मारे ..मम्मी मम्म …उनहूँ उनहू उनहू … उ उ उ उ उफ़ उफ़ उफ़ ओह ओह्ह्ह्ह …..दर्द हो रहा है … कह रही थी।लेकिन उसने लंड नहीं निकाला.फिर 5 मिनट बाद मुझे भी मजा आना शुरू हुआ, जोर का झटका ‘हाय जोर से लगा…’ और कमरा पूरा …..”आह आह आह आह आह उई आह उई आह उई..” हो रहा था, उसे हरामीपन सूझ रहा था, वो चोदते चोदते मेरी कमर में गुदगुदी कर रहा था और चुची चूस रहा था, और दांत से काट भी रहा था। मैं आह उई आह उई आह उई करती रही और कह रही थी- चोदो चोदो और चोदो!ये चुदाई कहानी आप निऊ हिंदी सेक्स स्टोरिज़ डॉट कॉम पर पड़ रहे है। फिर उसने चोदते चोदते मेरी गांड में भी उंगली डाल दी, मैं दर्द के मारे उछल पड़ी.कुछ देर में वो झर गया।रात भर में हमने तीन बार चुदाई की. सुबह देखा तो चादर खून से सनी थी और मैं ठीक से चल भी नही पा रही थी।मैंने सुबह दुर्गेश को बताया मेरी चूत बहुत दर्द हो रहा है। तो उसने मेरे लिये दवाई लाई और मुझे अपने हाथो से खिलाया। मै ठीक तो हो गयी लेकिन मेरी पहली चुदाई के बाद तो मेरी चूत बिल्कुल ढीली हो गयी क्योकि मै और दुर्गी रोज किसी ना किसी बहाने से मुझे चुदवाने के लिये मना लेता था। कैसी लगी मेरी सेक्स कहानी , अच्छा लगी तो जरूर रेट करें और शेयर भी करे ,अगर कोई मेरी चूत की चुदाई करना चाहते हैं तो ऐड करो Lund ki pyasi tadapti chut
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